वो पीपल का पेड़

देखे हैं?

मझौली चौराहे पर

जिसकी छाँव तले

जानवर और आदमी

कोई भी आता जाता यात्री,

थके हारे मज़दूर और किसान

पनघट से लौटती पनिहारिने

और गाँव के बच्चे भी

आराम कर लेते हैं

और तो और 

उसी की छाँव में मैंने देखा है

जुम्मन चाचा को नमाज़ पढ़ते हुए

जिस की जड़ों में रखे शिव बाबा पर

राम लग्गन पंडित जी 

नित्य जल चढ़ा कर 

परिक्रमा करते मिलते हैं।

मैंने देखा है रग्घू चमार 

वहीँ सुहताता है

और जब राम अचरज बाबा बताते हैं

क्षिति जल पावक गगन समीरा

पांच तत्व मिलि रचत शरीरा।।

तब वह बड़े भाव से 

 बरम बाबा को हाथ जोड़ कर

परनाम करता है।

वैसे तो किसिम किसिम की चिरई

उप्पर बैठती हैं

घोंसला बनायी हैं

लेकिन उ कौवा बड़ा बदमाश है

बाबा पर छिड़क दिया था

रग्घू डरते डरते पोछे थे।

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