शोक में भी कुछ खुशी के गीत गा लें हम।

इस प्रलय को आस की नौका बना लें हम।।


आपदा जिनके लिए आई है बन अवसर

गिद्ध जैसे टूटते हैं मृत शिकारों पर

मूल्य से दस दस गुना बढ़कर कमाते लोग

अघ कमाकर स्वर्ग पर दावा जताते लोग


इन को लगता है ये आये हैं अमर होकर

क्या इसी स्तर तलक खुद को गिरालें हम।।

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