कौन मुहब्बत के अफ़साने लिखता है।
नफ़रत है दुनिया के माने लिखता है।।
खुशियां जैसे दो कौड़ी की होती हैं
वो ग़म को अनमोल ख़ज़ाने लिखता है।।
वीरानों को ग़म की महफ़िल कहता है
महफ़िल को ग़म के वीराने कहता है।।
साथ रक़ीबों के वो मेरी तुर्बत पर
गीत वफ़ा के मेरे साने लिखता है।।
यार मेरे शायर को कोई समझाओ
जब देखो दुनिया पर ताने लिखता है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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