पता नहीं क्यों  नहीं पसंद मुझे

तुम्हारा यह बिंदास  अंदाज़

तुम्हारा हर किसी से बेबाक होकर बोलना,बतियाना

और तुम्हारा स्लीव कट पहन कर 

घर के बाहर निकलना

या जीन्स पहनना उस लड़की की तरह 

जिसे देखकर मेरी आँखों की चमक बढ़  जाती थी

जिसका शोख अंदाज मुझे पसंद था

और पसन्द था उसका मुस्कुराते हुए

हैल्लो कहके मुझसे हाथ मिलाना

और मेरे साथ बोलना बतियाना

पता नहीं क्यों पसन्द आता था उसका हर वो अंदाज

जिसे शरीफ मतलब तथाकथित भले लोग

अच्छा नहीं मानते

क्या मैं भी हो गया हूँ  तथाकथित भला आदमी 

यानि सो कॉल्ड शरीफ .. ....


सुरेश साहनी कानपुर

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