काफिर हूँ या होने की तैयारी है।
एक पत्थरदिल से अपनी भी यारी है।।
रफ़्ता रफ़्ता बेइमां हो जाऊंगा
नासेह की नज़रों में ये बीमारी है।।
इश्क़ की राहों में मौला ने डाला है
पर इब्लिसों ने कब मानी हारी है।।

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नासेह- धर्मोपदेशक
इब्लीस - शैतान

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