मधुलिके जब तुम नहीं हो
व्यर्थ है मधुमास कोई।
पंख कतरे जा चुके जब
क्या करे आकाश कोई।।
धूल धूसरित रास्तों पर
लूट चुका है कारवां भी
फिर मेरे हिस्से का सूरज
खो चुका है आसमां भी
अब तिमिरमय रास्तों का
क्या करे आभास कोई।।मधुलिके
आस्था मेरी नहीं है
मकबरों में या महल में
हम तुम्हारे साथ रहते
कन्दरा में या महल में
तुमसे ही लगता था प्रियतम
घर मेरा रनिवास कोई।।
एक सुन्दर सी कहानी
अपने पहले ही चरण में
खत्म कुछ ऐसे हुयी ज्यों
शस्त्र रख दे पार्थ रण में
द्यूत में ज्यों हार जीवन
फिर चला बनवास कोई।।मधुलिके
व्यर्थ है मधुमास कोई।
पंख कतरे जा चुके जब
क्या करे आकाश कोई।।
धूल धूसरित रास्तों पर
लूट चुका है कारवां भी
फिर मेरे हिस्से का सूरज
खो चुका है आसमां भी
अब तिमिरमय रास्तों का
क्या करे आभास कोई।।मधुलिके
आस्था मेरी नहीं है
मकबरों में या महल में
हम तुम्हारे साथ रहते
कन्दरा में या महल में
तुमसे ही लगता था प्रियतम
घर मेरा रनिवास कोई।।
एक सुन्दर सी कहानी
अपने पहले ही चरण में
खत्म कुछ ऐसे हुयी ज्यों
शस्त्र रख दे पार्थ रण में
द्यूत में ज्यों हार जीवन
फिर चला बनवास कोई।।मधुलिके
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