गीत/ग़ज़ल

झोंपड़ियों  से ही विकास के मानक बनते हैं।
छोटे प्रकरण से ही बड़े कथानक बनते हैं।।
हर गाथा के पीछे वर्षों  मेहनत होती है
तुमको क्या लगता है सभी अचानक बनते हैं।।
अपने अंदर कृष्ण सरीखे गुण तो ले आओ
यूँ ही नहीं सुदामा सबके याचक बनते हैं।।
माताएं जब जीजाबाई जैसी होती हैं
तभी शिवाजी भीम सरीखे बालक बनते हैं।।
निष्ठ और प्रतिबद्ध रहें यह अपने ऊपर है
हम दर्शन देते हैं या फिर दर्शक बनते हैं।।

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