बड़ी सहजता से वह अपने सारे कर्ज उतार गया।
मैंने उसको नमन किया वह मेरे चरण पखार गया।
नदियां भर भर संदेशे जब हिमगिरि ने भेजे तो
वह भी  बादल बनकर उनतक अगणित बार गया।।


का भईया हम का कहि दिहलीं।
रउरे काहें  रिसिया गईलीं ।।
रउरे कहलीं भल दिन आई
हम ते उहे  तिखरबे कइलीं।।

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