ग़ज़ल
आप इक कायदा बना दीजे।
हो सके फासले मिटा दीजै।।
मन में कोई मलाल मत रखिये
जी में आये तो कुछ सजा दीजे।।
इश्क़ करना गुनाह है गर तो
प्यार की हथकड़ी लगा दीजे।।
कुछ तकाज़े हैं आप की ज़ानिब
आप बदले में मुस्करा दीजै।।
क्या निगाहों से वार करते हैं
कुछ हमें पैंतरे सीखा दीजै।।
कुछ नहीं तो हमारी हद क्या है
आप ही दायरा बता दीजै।।
आज दिल कुछ बुझा बुझा सा है
इक पुरानी गजल सुना दीजै।।
हो सके फासले मिटा दीजै।।
मन में कोई मलाल मत रखिये
जी में आये तो कुछ सजा दीजे।।
इश्क़ करना गुनाह है गर तो
प्यार की हथकड़ी लगा दीजे।।
कुछ तकाज़े हैं आप की ज़ानिब
आप बदले में मुस्करा दीजै।।
क्या निगाहों से वार करते हैं
कुछ हमें पैंतरे सीखा दीजै।।
कुछ नहीं तो हमारी हद क्या है
आप ही दायरा बता दीजै।।
आज दिल कुछ बुझा बुझा सा है
इक पुरानी गजल सुना दीजै।।
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