नज़्म

नींद गायब सुकून गायब है।
जिस्मे-फ़ानी से खून गायब है।।

किस की ख़ातिर जियें मरें किसपर
सब तो अपनी रवानियों में हैं।
और सच पूछिये  वफ़ादारी
सिर्फ किस्से-कहानियो में हैं
 फिर जो रह रह उबाल खाती थी
अब वो जोशो जूनून गायब है।।

कोई उम्मीद हो तवक्को हो
कोई मन्ज़िल,  तलाश हो कोई
जिंदगी जीने की वजह तो हो
कुछ बहाना हो आस हो कोई
आज तुम ही नही तो लगता है
हासिले-कारकून गायब है।

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