दिल में दर्द समेटे फिरना

आहें सर्द सहेजे फिरना

मंज़िल मंज़िल दिल का दिल पर

मनभर गर्द लपेटे फिरना।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है