कौन अब इंसान होना चाहता है।
आदमी भगवान होना चाहता है।।
सब्र की तालीम अपने पास रखिये
साबरी सुल्तान होना चाहता है।।
आ चुके सब ज़ेरोबम इस ज़िन्दगी के
अब सफ़र आसान होना चाहता है।।
भक्ति वाले छन्द रसमय हों कहाँ से
क्या कोई रसखान होना चाहता है।।
हुस्न की नादानियाँ तस्लीम करके
इश्क़ भी नादान होना चाहता है।।
बेशऊर आने लगे हैं जब से मयकश
मयकदा वीरान होना चाहता है।।
क्यों फ़क़ीरी ढो रहे हो साहनी जब
हर कोई धनवान होना चाहता है।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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