अक्सर खेती बंटती है धन बंटता है।

हर अगली पीढ़ी में आंगन बंटता है।।

रिश्तों  नातों में अपनों में गैरों में

अनगिनती हिस्सों में जीवन बंटता है।।साहनी

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