अख़बारों की नज़र कहाँ है।
विज्ञापन हैं ख़बर कहाँ है।।
कैफ़े बार सजे सड़कों पर
पनघट वाली डगर कहाँ है।।
कहाँ मुहब्बतगंज गुम हुआ
वो अपनों का नगर कहाँ है।।
वो अब भी है मेरे दिल में
लेकिन उसको ख़बर कहाँ है।।
यादें बहुत जुड़ी थी जिससे
अब वो बूढ़ा शज़र कहाँ है।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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