अगियार हमपे तीर कमां तानते रहे।

तुम भी मेरी वफ़ा का बुरा मानते रहे।।

तन्हा हुए हो आज तो आया मेरा ख़याल

वरना कहाँ किसी को तुम पहचानते रहे।।

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