नफरत में इक मिठास को महसूस कर अदीब।

इस इश्क का लिबास को महसूस कर अदीब।।


जो  तिश्नगी में कैफ़ है सागर में वो कहाँ

इस  आशिक़ी की प्यास को महसूस कर अदीब।।


जो है तेरे ख़याल में हासिल उसे कहाँ

बस कैफ़े-महवे-यास को महसूस कर अदीब।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है