मैं भी  क़िरदार था कहानी में।

वो मेरा प्यार था कहानी में।।


उसने दिल मे उसे जगह दे दी

क्या वो  हक़दार था कहानी में।।


सिर्फ़ सच बोलने की आदत से

मैं गुनहगार था कहानी में।।


छोड़ना साथ यकबयक उसका

इक वही यार था कहानी में।।


वो मिलेगा कभी तो पूछूँगा

क्या ये दरकार था कहानी में।।


उसने मुझको ही कर दिया खारिज़

क्या मैं दीवार था कहानी में।।


साहनी फिर कहाँ उबर पाया

ग़म का अम्बार था कहानी में।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है