हमारे प्यार की पहली घड़ी को याद करना।

मेरी चाहत मेरी दीवानगी को याद करना।।

कहीं रहना मेरी इतनी दुआ है

कभी ये ना समझना दूरियां हैं

अकेलापन तुम्हे होने न पाये

तुम्हारे साथ मेरी दास्ताँ है

कभी तुमको लगे मैं ही गलत था तुम सही हो

तो निज आँखों से बहती पावनी को याद करना।।

तुम्हे चाहा चलो मेरी खता थी

मेरी तकदीर ही मुझसे खफ़ा थी

तुम्ही बढ़ कर के हमको थाम लेते

तुम्हारे पांव में कब बेड़ियाँ थी

कभी राहों में जब तुम धूप से होना परेशां

हमारे प्यार की मधुयामिनी को याद करना।।

कहाँ जाओगे इस दिल से निकलकर

हमारा साथ हैं क्या इस जनम भर

कहीं भी यदि तुम्हे ठोकर लगे तो

बढ़ कर थाम लेंगे हम वहीं पर

भटकना मत न घबराना कभी मंजिल से पहले

किसी भी मोड़ पर अनुगामिनी को याद करना।।

जहाँ राधा वहीँ पर श्याम होंगे

जहाँ सीता मिलेंगी राम होंगे

अगर आगाज़ दिल से हो गया है

यकीनन खुशनुमा अंजाम होंगे

जो फूटी थी कभी समवेत स्वर में रासवन में

वो बन्शी और उसकी रागिनी को याद करना।।

सुरेश साहनी,कानपुर

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा