इश्क़ को सिलसिला मिले तब तो।

हुस्न से भी  रजा   मिले तब तो।।


दर्दे-दिल की दवा  मिले तब तो।

उस पे उनकी दुआ मिले तब तो।।


माँगने से मिली तो क्या मतलब

दिल से  दादे-वफ़ा  मिले तब तो।।


दिल को तस्लीम है क़यामत भी

वो अभी उड़ के आ मिले तब तो।।


कैसे माने कि आप दिल मे हैं

अपने दिल का पता मिले तब तो।।


शेर क्या हम नई ग़ज़ल कह दें

पर नया मजमुआ मिले तब तो।।


साहनी भी पनाह ले लेगा

आपका आसरा मिले तब तो।।


सुरेश साहनी कानपुर

9451545132

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