लिखते हैं अब नई कहानी।
कितना ढोयें बात पुरानी।।

प्यार किया पागल कहलाये
आवारा बादल कहलाये
जाने कितने दाग लगाये
चूनर लगने लगी पुरानी।।लिखते हैं अब...

उनकी खुशियाँ उनकी बातें
अपने हिस्से केवल मातें
एक तरफा अनुबंध निभाते
भूल गए हम अपनी बानी।।लिखते हैं अब....

ऐसे प्यार निभाया हमने
निज सर्वस्व लुटाया हमने
यूँ अस्तित्व मिटाया हमने
ज्यूँ सागर में नदी समानी।।लिखते हैं अब....

प्यार में किंचित सुख होता है
प्रति अपेक्षा दुःख होता है
जब चिंतन अभिमुख होता है
तब गौतम होता है ज्ञानी।।लिखते है अब...

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है