यूँ सरे रात जागता क्या है।
मौत का इससे वास्ता क्या है।।
नींद आखों से भाग जाती है
नींद आने का रास्ता क्या है।।
पल में घटता है पल में बढ़ता है
कद को साये से नापता क्या है।।
एक छत के तले हैं हम दोनों
फिर दिलों का ये फासला क्या है।।
मौत से मुस्कुरा के मिलता हूँ
फिर ये तकलीफ ये बला क्या है।।
तू अग़र बेवफ़ा समझता है
तुझे मालूम है वफ़ा क्या है।।
उम्र के साथ सीख जायेगा
क्या बुरा है यहां भला क्या है।।

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