मजनू राँझा की राहों पर।
सब बर्बाद हुए चाहों पर।।

फूलों में पलकर जा पहुंचे
कैसे पथरीली राहों पर।।

दरवेशों की अज़मत देखो
भारी पड़ती है शाहों पर।।

यार न माना मगर सुना है
ख़ुदा पिघलता हैं आहों पर।।

प्यार गुनाह नहीं होता तो
इज्जत पाता चौराहों पर।।

गोवा में जो खोज रहे हो
टंगा हुआ है खजुराहो पर।।

मेरी कविता तोड़ गयी दम
उनकी सौतेली डाहों पर।।

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