जन्मना मछुवा बड़ा अपराध है।

राम के हाथों उसे सद्गति मिली।
ब्रम्ह हत्या किन्तु केवट को लगी।।
क्या गरज थी पार करवाया उन्हें
घने वन में छोड़ कर आया उन्हें
तब वहां सीता पे संकट आ गया
बली रावण उनको ही हर ले गया
राम ने खोजा सिया को हर कहीं
अंततः कपि को वो लंका में मिलीं
वहां कपि को इक विभीषण भी मिला
मृत्यु रावण की उसे ही थी पता
राम को सब भेद उसने दे दिया
राम ने रावण से बदला ले लिया
राम के हाथों दशानन वध हुआ
विद्वान ब्राम्हण इस तरह मारा गया
किन्तु इस हत्या का दोषी कौन हो
वन में आखिर किसने भेजा राम को
कौन जो हर दुःख में उनके साथ था
उनको बुलवा कर के सम्मानित करो
बलि के बकरे की तरह टीका करो
राजगद्दी के बगल आसन मिले
श्रेय रावण वध का उनको दीजिये
निषाद राजा गुह्य को बुलवाया
राम ने अपने सदृश आसन दिया
श्रेय लंका विजय का उनको दिया
मत्स्य राजा ये समझ ही ना सके
और ब्राम्हणों के शाप के भाजन बने
ये सुअवसर अनवरत आते रहे
और हरदम हम छले जाते रहे
पाप का भागी सदा से व्याध है
जन्मना मछुवा बड़ा अपराध है
जन्मना मांझी बड़ा अपराध है।।......

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