अगर कुछ दूर तक तुम साथ चलते।
तो हम हाथों में डाले हाथ चलते ।।
चलो अच्छा हुआ जो मुड़ गए तुम
ये मुश्किल था कि तुम दिन रात चलते।।
मुझे नाजो -हया से देख लेते
यकीनन हम लिए बारात चलते।।
तुम्हारे होठ भी तो थरथराते
अगरचे वस्ल के हालात चलते।।
हमारे साथ तुम ना खेल पाते
तुम्हारी शह हमारे मात चलते।।
तुम्हे कोई कमी रहने न देते
लिए हम प्यार की सौगात चलते।।
कोई कितना हमे रुसवा करेगा
ज़ुबाने थक गयी हैं बात चलते ।।
तो हम हाथों में डाले हाथ चलते ।।
चलो अच्छा हुआ जो मुड़ गए तुम
ये मुश्किल था कि तुम दिन रात चलते।।
मुझे नाजो -हया से देख लेते
यकीनन हम लिए बारात चलते।।
तुम्हारे होठ भी तो थरथराते
अगरचे वस्ल के हालात चलते।।
हमारे साथ तुम ना खेल पाते
तुम्हारी शह हमारे मात चलते।।
तुम्हे कोई कमी रहने न देते
लिए हम प्यार की सौगात चलते।।
कोई कितना हमे रुसवा करेगा
ज़ुबाने थक गयी हैं बात चलते ।।
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