महफ़िल से उठ लिये तेरी महफ़िल बनी रहे।
शायद किसी के प्यार के काबिल बनी रहे।।
हासिल न हो सकी हमें रानाईयाँ तेरी
तेरे लिए दुआ है तू हासिल बनी रहे।।
आएंगे-जायेंगे मेरे जैसे यहाँ तमाम
रस्ते बने रहें अगर मंज़िल बनी रहे।।
महफ़िल से उठ गया तो क्या तन्हा नहीं हूँ मैं
ये और बात है कि तू गाफ़िल बनी रहे।।
शायद किसी के प्यार के काबिल बनी रहे।।
हासिल न हो सकी हमें रानाईयाँ तेरी
तेरे लिए दुआ है तू हासिल बनी रहे।।
आएंगे-जायेंगे मेरे जैसे यहाँ तमाम
रस्ते बने रहें अगर मंज़िल बनी रहे।।
महफ़िल से उठ गया तो क्या तन्हा नहीं हूँ मैं
ये और बात है कि तू गाफ़िल बनी रहे।।
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