#मित्र1
तुम भी यार गज़ब करते हों।
कब की बातें अब करते हो।।
प्यार में घाटा और मुनाफा
क्यों बातें बेढब करते हो।।
बातों में इक रूखापन है
आँखों से डबडब करते हो।।
दिल वालों से सौदेबाजी
काहे को ये सब करते हो।।
तुम समाज से कब ऊपर हो
बातें बेमतलब करते हो।।
सबके दिल में बसे हुए हो
कैसे ये करतब करते हो।।
सारे तुमको जान गए हैं
तुम ऐसा जब तब करते हो।
तुम भी यार गज़ब करते हों।
कब की बातें अब करते हो।।
प्यार में घाटा और मुनाफा
क्यों बातें बेढब करते हो।।
बातों में इक रूखापन है
आँखों से डबडब करते हो।।
दिल वालों से सौदेबाजी
काहे को ये सब करते हो।।
तुम समाज से कब ऊपर हो
बातें बेमतलब करते हो।।
सबके दिल में बसे हुए हो
कैसे ये करतब करते हो।।
सारे तुमको जान गए हैं
तुम ऐसा जब तब करते हो।
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