कभी कभी सन्डे जब सन्डे जैसा नहीं लगे।
सब कुछ अपना होकर भी कुछ अपना नहीं लगे।।
कुछ रोचक कुछ तो मनमोहक कुछ प्रत्यक्ष दिखे
सब कुछ नीरस सभी निरर्थक सपना नहीं लगे।।

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