मेरी दुनिया हो मत पूछो
किस दुनिया से आई हूँ मैं ।।
उस दुनिया में सब कहते थे
 ये घर नहीं परायी हूँ मैं ।।
रौशनी कंत के घर की हूँ
या पति की परछाई हूँ मैं।।
मैं क्या  मेरी पहचान है क्या
ये समझ नही पाई हूँ मैं।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है