मत कहो! पगला गया है।
वो अपनों से छला गया है।।
क्यों करते हो उसकी बातें
जो महफ़िल से चला गया है।।
आम आदमी की बातो से
राजा क्यों तिलमिला गया है।।
वो क्या जाने दुनियादारी
उसे कोई बरगला गया है ।।
तू है अकबर मैं क्या जानूँ
कहाँ तक सिलसिला गया है।।
खुशफहमी थी जिसकोलेकर
वो ही मुझको रुला गया है।।
जिसको चारागर समझा था
जहर वही तो पिला गया है।।
जिससे घर को उम्मीदें थीं
बुनियादेँ तक हिला गया है।।

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