मैं तुम पर कविता लिख दूं तो
कविता सुन्दर बन सकती है।
मैं तुमपर यदि गीत सुनाऊँ
नई रागिनी बन सकती है।।
सुंदरता को सुंदर होना है तो तुमसे प्रीत गाँठ ले
और घटा को गहराना हो
तो तेरे केशों की ओट ले
तुम क्या जानो हंसी तुम्हारी
कहीं दामिनी बन सकती है।
प्राणदायिनी दृष्टि तुम्हारी
प्राण हरण भी कर सकती है।।
कविता सुन्दर बन सकती है।
मैं तुमपर यदि गीत सुनाऊँ
नई रागिनी बन सकती है।।
सुंदरता को सुंदर होना है तो तुमसे प्रीत गाँठ ले
और घटा को गहराना हो
तो तेरे केशों की ओट ले
तुम क्या जानो हंसी तुम्हारी
कहीं दामिनी बन सकती है।
प्राणदायिनी दृष्टि तुम्हारी
प्राण हरण भी कर सकती है।।
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