बुराई के लिए फुर्सत मिले तो।
करूँगा खूब पर तबियत मिले तो।।
बला की खूबसूरत है तो क्या है
कि उसमे एक भी सीरत मिले तो।।
उन्हें समझाऊंगा ईमान लाएं
मगर मौके से वो हजरत मिलें तो।।
मैं वाइज के बताये रास्ते पर
चलूँगा जीते जी जन्नत मिले तो।।
दिखा सकता हूँ मैं ईमान पर हु
कभी शैतान की सोहबत मिले तो।।
मैं साहूकार रहकर क्या करूँगा
जहाँ चोरों को ही इज़्ज़त मिले तो।।
निज़ाम उनका कहाँ से बेहतर है
तरक्की की जगह गुरबत मिले तो।।
क़ुबूल उसको हर इक बेपर्दगी है
अगर उसका बदल शोहरत मिले तो।।

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