मैं सड़कों पर धूल फांकने निकला हूँ।
सत्य कहूँ ! नौकरी ढूँढने निकला हूँ।।
कब हमको खाली रहना अच्छा लगता है
किन्तु नौकरी का मिलना सपना लगता है
भैया ने नफरत से देखा झेल गया पर
तीर सरीखा भाभी का ताना लगता है
यही देख तकदीर साधने निकला हूँ।।
अपने पिता की नजरों में आवारा हूँ मैं
इस दुनिया की नजरों में नाकारा हूँ मैं
बेगारी में सब ने नजर फेर ली मुझसे
फिर भी अपनी माँ का राज दुलारा हूँमैं
खुशियों का संसार मांगने निकला हूँ।।
कहीं नौकरी नहीं धरी यह जान रहे हैं
किन्तु पिता जी इसी वजह से डांट रहे हैं
कौन युवा बेरोजगार की पीड़ा समझे
बाहर[a1] दुनिया घर घर वाले काट रहे हैं
मैं अंतिम उपचार खोजने निकला हूँ।।
सत्य कहूँ ! नौकरी ढूँढने निकला हूँ।।
कब हमको खाली रहना अच्छा लगता है
किन्तु नौकरी का मिलना सपना लगता है
भैया ने नफरत से देखा झेल गया पर
तीर सरीखा भाभी का ताना लगता है
यही देख तकदीर साधने निकला हूँ।।
अपने पिता की नजरों में आवारा हूँ मैं
इस दुनिया की नजरों में नाकारा हूँ मैं
बेगारी में सब ने नजर फेर ली मुझसे
फिर भी अपनी माँ का राज दुलारा हूँमैं
खुशियों का संसार मांगने निकला हूँ।।
कहीं नौकरी नहीं धरी यह जान रहे हैं
किन्तु पिता जी इसी वजह से डांट रहे हैं
कौन युवा बेरोजगार की पीड़ा समझे
बाहर[a1] दुनिया घर घर वाले काट रहे हैं
मैं अंतिम उपचार खोजने निकला हूँ।।
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