मुहब्बत है ये मत कहिये सनक है।
जो है दीवानगी की हद तलक है।।
ये ले जाती है खुद जाती नहीं है
मुहब्बतगंज की ये ही सड़क है।।
तेरी अंगड़ाईयों का तर्जुमा है
मेरी तहरीर में जो भी लचक है।।
सियासत बन गयी तकदीर मेरी
सुबह से शाम तक उट्ठा पटक है।।
गया है लड़खड़ाते जो भी आया
तेरे स्कूल का कैसा सबक है।।
किसे सूली का डर दिखला रहे हो
हमी मनसूर हैं जो अनलहक है।।
वो मेरा है मुझे उसपे यकीं है
मुहब्बत हैं कहाँ गर कोई शक है।।
जो है दीवानगी की हद तलक है।।
ये ले जाती है खुद जाती नहीं है
मुहब्बतगंज की ये ही सड़क है।।
तेरी अंगड़ाईयों का तर्जुमा है
मेरी तहरीर में जो भी लचक है।।
सियासत बन गयी तकदीर मेरी
सुबह से शाम तक उट्ठा पटक है।।
गया है लड़खड़ाते जो भी आया
तेरे स्कूल का कैसा सबक है।।
किसे सूली का डर दिखला रहे हो
हमी मनसूर हैं जो अनलहक है।।
वो मेरा है मुझे उसपे यकीं है
मुहब्बत हैं कहाँ गर कोई शक है।।
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