आज हम पर इतने पहरे हो गए।
हम कलम से गूंगे बहरे हो गए।।
नाम क्या हमने तुम्हारा लिख दिया
खत के हर अक्षर सुनहरे हो गए।।
बाद मुद्दत के मिले तो इस तरह
घाव दिल के और गहरे हो गए।।
आज की शिक्षा से हमको क्या मिला
गुम पहाड़े और ककहरे हो गए।।
जाने क्या तुमने करी चारागरी
दर्द से हम और दोहरे हो गए।।
हम कलम से गूंगे बहरे हो गए।।
नाम क्या हमने तुम्हारा लिख दिया
खत के हर अक्षर सुनहरे हो गए।।
बाद मुद्दत के मिले तो इस तरह
घाव दिल के और गहरे हो गए।।
आज की शिक्षा से हमको क्या मिला
गुम पहाड़े और ककहरे हो गए।।
जाने क्या तुमने करी चारागरी
दर्द से हम और दोहरे हो गए।।
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