तुम्हें आराम में जीने की लत है।
मुझे आराम से जीने की लत है।।
मेरी कीमत रूपये में आंकते हो
तुम्हारा आंकलन कितना गलत है।।
पराये दर्द को अपना समझना
यही सबसे बड़ी इंसानियत है।।
अगर माँ बाप जिन्दा हैं तो समझो
घटाओं में तुम्हारे सर पे छत है।।
मुझे लगता नहीं फ़ानी है दुनिया
कि ये आदम से अबतक अनवरत है।।...
मुझे आराम से जीने की लत है।।
मेरी कीमत रूपये में आंकते हो
तुम्हारा आंकलन कितना गलत है।।
पराये दर्द को अपना समझना
यही सबसे बड़ी इंसानियत है।।
अगर माँ बाप जिन्दा हैं तो समझो
घटाओं में तुम्हारे सर पे छत है।।
मुझे लगता नहीं फ़ानी है दुनिया
कि ये आदम से अबतक अनवरत है।।...
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