कभी वो भी नही मिलते कभी हम मिल नहीं पाते।
वो रिश्ते ढो रहे हैं हम जो खुद से चल नहीं पाते।।
यहाँ छोटा बड़ा क्या है बराबर का ये सौदा है
अगर तुम दिल नहीं देते हमारा दिल नहीं पाते।।

तुम याद करते भी नहीं मैं याद आता भी नहीं।
पर तुम्हारी याद मैं एक पल भुलाता भी नहीं।।
तुम हमारी धड़कनों में इस कदर मशमूर हो
भूलकर तुमको मैं इक पल और जी पाता नहीं।।

मुझे बिखरे हुए अरसा हुआ है।
मगर लगता है कल का वाकया है।।
मुझे हँसते हुए देखा है तुमने
तुम्हे शायद कोई धोखा हुआ है।।
मुझे महबूब तुमने ही कहा था
बेवफा नाम भी तुमने दिया है।।
वो पत्थर है यही काबिलियत है
वो बेदिल है तभी तो देवता है।।
मेरा हमदर्द भी उनकी नजर में
बेगैरत है , काफिर है , बुरा है।।


सुना है तुमको अब फुर्सत नहीं है।
हमारे वास्ते मोहलत नहीं है।।
हमें वो लोग दिल से चाहते हैं
हाँ उन के पास धन दौलत नहीं है।
चलो माना तुम्हे सब जानते हैं
ये बदनामी कोई शोहरत नहीं है।।
बदल जाते हो मौसम की तरह तुम
मगर ये तो भली आदत नहीं है।।
मुझे वो कल भला चंगा मिला था
सुना है आज वो जीवित नहीं है।।
हवाओं में जहर है जानते हैं
शहर वालो को अब हैरत नहीं है।।
किसी से इत्तेफ़ाक हो भी तो कैसे
वो अपने आप से सहमत नहीं है।।



Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है