उम्र भर साथ निभाने वाले।
हैं तो किरदार फ़साने वाले।।
सोने–चाँदी में नहीं बिकते हैं
दौलते–दिल को लुटाने वाले।।
अच्छे दिन अब नहीं आने वाले।
दिन गए गुजरे ज़माने वाले।।
दौरे–हाजिर तो नहीं दिखते हैं
रस्मे उल्फ़त को निभाने वाले।।
मुड़ के इक बार तो देखा होता
राह में छोड़ के जाने वाले।।
अब तो काजल से जलन होती है
मुझकोआँखों में बसाने वाले।।
हैं तो किरदार फ़साने वाले।।
सोने–चाँदी में नहीं बिकते हैं
दौलते–दिल को लुटाने वाले।।
अच्छे दिन अब नहीं आने वाले।
दिन गए गुजरे ज़माने वाले।।
दौरे–हाजिर तो नहीं दिखते हैं
रस्मे उल्फ़त को निभाने वाले।।
मुड़ के इक बार तो देखा होता
राह में छोड़ के जाने वाले।।
अब तो काजल से जलन होती है
मुझकोआँखों में बसाने वाले।।
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