मुझे भी अब नहीं पहचानता है।
यकीनन वो बड़ा तो हो गया है।।
अगर कुछ दे सको तो साथ आओ
यही अब दोस्ती का फलसफा है।।
कभी दिल में मेरे रहता था लेकिन
इधर वो कुछ दिनों से लापता है।।
हमारा घर बहुत छोटा है तो क्या
हमारा दिल बहुत ज्यादा बड़ा है।।
वही कहते हैं जो दिल सोचता है
वही करते हैं जो दिल चाहता है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है