हर ओर होते चीर हरण
कुमारियों के आर्तनाद -को अनसुना करते कान
अनदेखी करती आँखें
दरबारी या तो मौन
या तो सहमत और आप भी कभी निगाहें फेरकर
कभी मौन रहकर
जब खुद को विवश या असहाय
कह कर बचते हैं
तब आप अपनी शरशैया
खुद तैयार करते हैं।
हाँ !यह सत्य है पितामह भीष्म हर युग में होते हैं।।
कुमारियों के आर्तनाद -को अनसुना करते कान
अनदेखी करती आँखें
दरबारी या तो मौन
या तो सहमत और आप भी कभी निगाहें फेरकर
कभी मौन रहकर
जब खुद को विवश या असहाय
कह कर बचते हैं
तब आप अपनी शरशैया
खुद तैयार करते हैं।
हाँ !यह सत्य है पितामह भीष्म हर युग में होते हैं।।
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