जिंदगी हम को जगाती है थका देती है।
मौत थक जाने पे बाँहों में सुला लेती है।।
सिलसिला सोने का जगने का चलाता है कोई
ये कुदूरत हमें कब उसका पता देती है।।
मौत थक जाने पे बाँहों में सुला लेती है।।
सिलसिला सोने का जगने का चलाता है कोई
ये कुदूरत हमें कब उसका पता देती है।।
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