गर्दिशों से हम उबरना चाहते तो थे।
वक्त के हम साथ चलना चाहते तो थे।।
तुमने कब मौका दिया हम आखिरी दम तक
तुमको जी भर प्यार करना चाहते तो थे।।
हल कुदाल हमने उठाये हैं परिस्थिति वश
वरना हम भी आगे बढ़ना चाहते तो थे।।
मौन हो तुम लोक लज्जावश समझता हूँ
मेरी खातिर तुम भी लड़ना चाहते तो थे।।
अब हमें भी नींद आती है खुदा हाफिज
संग वरना हम भी जगना चाहते तो थे।।
वक्त के हम साथ चलना चाहते तो थे।।
तुमने कब मौका दिया हम आखिरी दम तक
तुमको जी भर प्यार करना चाहते तो थे।।
हल कुदाल हमने उठाये हैं परिस्थिति वश
वरना हम भी आगे बढ़ना चाहते तो थे।।
मौन हो तुम लोक लज्जावश समझता हूँ
मेरी खातिर तुम भी लड़ना चाहते तो थे।।
अब हमें भी नींद आती है खुदा हाफिज
संग वरना हम भी जगना चाहते तो थे।।
Comments
Post a Comment