मुझमें सदा जगी रहती है उस कवि की अभिलाषा।
जिसे पसंद नहीं आती है राजनीति की भाषा।
मैं कर दूंगा सर्वस्व निछावर कवि की सारंगी पर
कम भाता है राजनीति का चारण ढोल तमाशा।।
जिसे पसंद नहीं आती है राजनीति की भाषा।
मैं कर दूंगा सर्वस्व निछावर कवि की सारंगी पर
कम भाता है राजनीति का चारण ढोल तमाशा।।
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