ये नहीं है कि हम पढ़े न गये।

कौन कहता है हम सुने न गये।।


लोग गिर गिर पड़े वहाँ जाकर

हम बुलाने भी गये न गये।।


 ये नहीं था कि हम न बिक पाते

हम ही नज्मों को बेचने न गये।।


आपसे चाय की तलब में हम

एक अरसे से मयकदे न गये।।साहनी

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