आज वो ही पढ़ी ग़ज़ल मैंने।

जो किसी से सुनी थी कल मैंने।।

वैसे पढ़ सकते थे ग़ज़ल अपनी

पर बड़ों की करी नकल मैंने।।साहनी

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