तुम हमारी स्वास में जब आ बसे।
हम तुम्हारी धड़कनों में जा बसे।।
इश्क़ की दुनिया हमारी है तो है
लाख दौलत की कोई दुनिया बसे।।
दिल कन्हैया का है या महफ़िल कोई
रुक्मिणी राधा कि या मीरा बसे।।
प्रेम की है वीथिका अति सांकरी
इसमें सम्भव ही नहीं दूजा बसे।।
उस गली में लेके चल डोली मेरी
जिस गली में मेरा मनचंदा बसे।।
सुरेश साहनी कानपुर
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