इतना सारा कैसे तुम कह लेते हो।

फिर भी प्यारा कैसे तुम कह लेते हो।।


तुम कहते हो दिल इस पर कब राजी है

सचमुच यारा कैसे तुम कह लेते हो।।


जबकि सबका दिल तुम जीता करते हो

ख़ुद को हारा कैसे तुम कह लेते हो।।


  खोए रहते हो जब अपनी दुनिया मे 

हो बंजारा कैसे तुम कह लेते हो।।। साहनी

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