क्या पता था कि यूँ निभाओगे।
चार दिन में ही भूल जाओगे।।
दूर हमसे चले तो जाओगे।
क्या मगर ख़ुद से भाग पाओगे।।
कुछ पशेमान तो ज़रूर होंगे
जब ख़यालों में हम को लाओगे।।
हम तुम्हें देवता बना दें क्या
तुम नज़र से तो गिर न जाओगे।।
जबकि ख़ुद पर तुम्हें यक़ीन नहीं
फिर हमें खाक़ आजमाओगे।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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