बेटे का बेटा फिर उनका पोता याद करे।

यह काफी है उनको उनका अपना याद करे।।


बेहतर होता उनके लेखन पर चर्चा होती

लेकिन अपना बोला कोई कितना याद करे।।


इतनी सारी कौन किताबें रखता है घर में

चले गये अब बाबा जी का घण्टा याद करे।।


लोग बिहारी , चन्द्रसखी , केशव को भूल गये

इनको कल क्यों टोला और मुहल्ला याद करे।।


पर सुरेश चाहेंगे बेशक़ अपने मत मानें

लेकिन उनकी कविताओं को दुनिया याद करे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

9451545132

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