हठधर्मी से करना आग्रह ठीक नहीं।

और संत से तनिक दुराग्रह ठीक नहीं।।


धर्म समन्वय सिखलाता है दुनिया को

नुक्कड़ नुक्कड़ फैले विग्रह ठीक नहीं।।


राग द्वेष मद मत्सर निंदा अनुचित है

किसी भाँति रखना पूर्वाग्रह ठीक नहीं।।


ज़्यादा चिन्ता संग्रहणी बन जाती है

कुण्ठाओं का इतना संग्रह ठीक नहीं।।


हां समष्टि के हित में लेना सम्यक है

किंतु स्वयं के हित में परिग्रह ठीक नहीं।।


कहा राम ने लक्ष्मण शर संधान करो

किसी दुष्ट से अधिक अनुग्रह ठीक नहीं।।


फिर सुरेश कैसे शायर हो सकता है

गोचर है प्रतिकूल और ग्रह ठीक नहीं।।


सुरेश साहनी, कानपुर 

9451545132

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