वो ख़ुदा आदमी हुआ है क्या

आदमी तो कभी ख़ुदा न हुआ।।


आदमी है यहीं कहाँ कम है

वो किसी काम का हुआ न हुआ।।


वैसे दुनिया मुझे बुरी ही लगी

 यूँ तो मैं भी कभी भला न हुआ।।


उसमें लत है अगर भलाई की

ये नशा तो कोई नशा न हुआ।।

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